मिट्टी का खिलौना एक प्रेरणादायी कथा 2020



     #मिट्टी  का _खिलौना 


एक गांव में एक कुम्हार रहता था , वो मिट्टी के बर्तन व् खिलौने बनाया करता था , और उसे शहर जाकर बेचा करता था | जैसे तैसे उसका गुज़ारा चल रहा था , एक दिन उसकी बीवी बोली की अब यह मिट्टी के खिलोने और बर्तन बनाना बंद करो और शहर जाकर कोई नौकरी ही कर लो , क्यों की इसे बनाने से हमारा गुजारा नहीं होता , काम करोगे तो महीने के अंत में कुछ धन तो आएगा | कुम्हार को भी अब ऐसा ही लगने लगा था , पर उसको मिट्टी के खिलोने बनाने का बहुत शोक था , लेकिन हालात से मजबूर था , और वो शहर जाकर नौकरी करने लगा , नौकरी करता जरूर था पर उसका मन अब भी , अपने चाक और मिट्टी के खिलोने में ही रहता था | 




समय बितता गया , एक दिन शहर में जहा वो काम करता था , उस मालिक के घर पर उसके बच्चे का जन्मदिन था | 
सब महंगे महंगे तोहफे लेकर आये ,  कुम्हार ने सोचा क्यूँ न मै मिट्टी का खिलौना बनाऊ और बच्चे के लिए ले जाऊ , वैसे भी हम गरीबो का तोहफा कौन देखता है | यह सोचकर वो मिट्टी का खिलौना ले गया।  जब दावत ख़त्म हुई तो उस मालिक के बेटे को और जो भी बच्चे वहा आए थे सबको वो खिलौना पसंद आया और सब जिद करने लगे की उनको वैसा ही खिलौना चाहिए | सब एक दूसरे से पूछने लगे की यह शानदार तोहफा लाया कौन , तब किसी ने कहा की यह तोहफा आपका नौकर लेकर आया। 

सब हैरान पर बच्चे के जिद के लिए , मालिक ने उस  कुम्हार को बुलाया और पूछा की तुम ये खिलौना कहा से लेकर आये हो , इतना महंगा तोहफा तुम कैसे लाए ? कुम्हार यह बाते सुनकर हसने लगा और बोला माफ़ कीजिये मालिक , यह कोई महंगा तोहफा नहीं है , यह मैंने खुद बनाया है, गांव में यही बनाकर मैं गुजारा करता था ,लेकिन उससे घर नहीं चलता था इसलिए आपके यहाँ नौकरी करने आया हु | मालिक सुनकर हैरान हो गए और बोले की तुम क्या अभी यह खिलोने और बना सकते हो , बाकि बच्चो के लिए ? 
कुम्हार खुश होकर बोला हाँ मालिक , और उसने सभी के लिए शानदार रंग बिरंगे खिलोने बनाकर दिए | 


यह देख मालिक ने  सोचा क्यों ना हम , इन खिलौने का ही व्यापार करू और शहर् में बेचू | यह सोचकर उसने कुम्हार को खिलोने बनाने के काम पर ही लगा दिया और बदल में हर महीने अच्छी तनख्वाह और रहने का घर भी दिया | यह सब पाकर कुम्हार और उसका परिवार भी बहुत खुश हो गया और कुम्हार को उसके पसंद का काम भी मिल गया।  


हमको क्या सीख मिलती है ? 

इस कहानी का मूल अर्थ यह है की " हुनर हो तो इंसान कभी भी किसी भी परिस्थिति में उस हुनर से अपना जीवन सुख से जी सकता है और जग में नाम करता है | "

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